आज, हम ऐसी चीज़ के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसने इंटरनेट के दुनिया में क्रांति ला दी है उसका नाम है स्टारलिंक! स्टारलिंक क्या है? इसका मालिक कौन है? यह कैसे काम करता है? अभी कौन से देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं? और ये इंडिया में कब लाँच होणे जा राहा है तो हमारे साथ आख़िरतक बने रहिए क्योंकि हम आपको इसके बारे में सब कुछ बताने जा रहे हैं.
स्टारलिंक एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है जिसे स्पेसएक्स द्वारा डेवेलप किया गया है, जो एलन मस्क की एक निजी एयरोस्पेस कंपनी है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा प्रदान करना है, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में जहाँ इंटरनेट सेवाएँ पहुँचने में काफी तकलीफ होती है या इंटरनेट की सेवा बिलकुल नहीं चलती है. वहा आपको फुल स्पीड में इंटरनेट मिलने वाला है.
आज कल के इंटरनेट सेवा underground cables या सेल टावरों पर निर्भर करते है, स्टारलिंक पृथ्वी की निचली कक्षा के satellite के नेटवर्क का उपयोग करता है. ये satellite लगभग 550 किमी की ऊँचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगते है, जो संचार के लिए उपयोग किए जाने वाले आज कल के इंटरनेट की तुलना में बहुत करीब है.
स्टारलिंक को 2015 में पहली बार introduce किया गया, लेकिन इसका एक्चुअल डेवलपमेंट 2019 में शुरू हुआ, जब स्पेसएक्स ने स्टारलिंक satellite के batches को अंतरिक्ष में लॉन्च करना शुरू किया था.
स्टारलिंक छोटे, low Earth orbit याने (LEO) satellite के समूह का उपयोग करके ऐसा करता है, जो इंटरनेट कवरेज को पृथ्वी तक पहुंचाता है, जिससे खराब या बिना कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में लोग इसके इंटरनेट का सीधे इस्तेमाल satelite से करने वाले है.
स्टारलिंक स्पेसएक्स कंपनी का एक हिस्सा है, जिसके ओनर एलन मस्क हैं. स्पेसएक्स कई सालों से रॉकेट और सैटेलाइट लॉन्च कर रहा है और स्टारलिंक इनके सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक है. इनका उद्देश्य हजारों सैटेलाइट का एक global नेटवर्क बनाना है जो दुनिया के किसी भी हिस्से में तेज़ और विश्वसनीय इंटरनेट प्रदान कर सके.
स्टारलिंक इंटरनेट कैसे कार्य करता है?
१. सॅटॅलाइट पृथ्वी पर जो ग्राउंड स्टेशन है उससे इंटरनेट सिग्नल प्राप्त करते हैं.
२. वे इन सिग्नलों को नेटवर्क में अन्य सॅटॅलाइट तक broadcast करते हैं.
३. अंत में, users का एंटीना सिग्नल प्राप्त करता है, जिसे इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोवाइड करने के लिए users के मॉडेम में भेजा जाता है.
चूँकि ये सॅटॅलाइट पृथ्वी के बहुत करीब हैं, इसलिए सिग्नल विलंबता - या देरी - आज कल के इंटरनेट सेवा की तुलना में काफी बेहतर है, जिससे तेज़ और सहज इंटरनेट अनुभव मिलता है.
स्टारलिंक की इंटरनेट सेवा से कनेक्ट करने के लिए, आपको एक विशेष किट की आवश्यकता होगी जो स्टारलिंक प्रदान करता है। इस किट में शामिल हैं:
१. एक सैटेलाइट डिश (जिसे अक्सर "डिशी" कहा जाता है),
२. एक माउंटिंग ट्राइपॉड, और
३. एक वाई-फाई राउटर
डिश ऑटोमेटिकली नजदीकी स्टारलिंक सैटेलाइट से कनेक्ट हो जाता है, इसे सेट करना काफी आसान है - बस डिश को आसमान के तरफ कर ले, और आपने इंटरनेट को यूज़ करना स्टार्ट करले.
स्टारलिंक का तेजी से विस्तार हो रहा है और अब तक यह उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया और ओशिनिया के कई देशों में उपलब्ध है. कुछ प्रमुख देश जहां स्टारलिंक का सक्रिय रूप से उपयोग किया जा रहा है, उनमें शामिल हैं:
• The United States
• कनाडा
• यूनाइटेड किंगडम
• जर्मनी
• ऑस्ट्रेलिया
• जापान
• दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के कुछ हिस्से. सेवा लगातार विस्तार कर रही है, इसलिए नियमित रूप से और अधिक देशों को जोड़ा जा रहा है.
इसका Download Speeds: 50 Mbps से 250 Mbps के बिच होगा.
और इसका Upload Speeds: 10 Mbps से 20 Mbps तक होगा.
स्टारलिंक ने "स्टारलिंक बिज़नेस" की प्रीमियम सेवा भी शुरू की है, जो high स्पीड और जबरदस्त कनेक्टिविटी प्रदान करती है, जो ज्यादा डाटा चने वाले users को फोकस करती है. जिसका डाउनलोड स्पीड: 150 एमबीपीएस से 500 एमबीपीएस तक है और
अपलोड स्पीड: 20 एमबीपीएस से 40 एमबीपीएस तक है.
स्टारलिंक को इंडियन गवर्नमेंट से in-principle approval मिल गया है, लेकिन गृह मंत्रालय अभी भी आवेदन की जांच कर रहा है. दूरसंचार विभाग (DoT) उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) की राय भी मांग रहा है.